नॉन स्मोकर्स के लिए सिगरेट का धुआं बढ़ा सकता है कोरोनावायरस का खतरा, एम्स की स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर के नेतृत्व में हुई एक स्टडी में धूम्रपान न करने वाले लोगों में सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने के कारण कोविड-19 (Coronavirus) संक्रमण के गंभीर रूप अख्तियार करने की बात सामने आई है.
नॉन स्मोकर्स के लिए सिगरेट का धुआं बढ़ा सकता है कोरोनावायरस का खतरा, एम्स की स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा (Reuters)
नॉन स्मोकर्स के लिए सिगरेट का धुआं बढ़ा सकता है कोरोनावायरस का खतरा, एम्स की स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा (Reuters)
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर के नेतृत्व में हुई एक स्टडी में धूम्रपान न करने वाले लोगों में सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने के कारण कोविड-19 (Coronavirus) संक्रमण के गंभीर रूप अख्तियार करने की बात सामने आई है. 6 राज्यों में किए गए अपने तरह की इस पहली स्टडी से पता चला है कि घर या ऑफिस में सिगरेट के धुएं के संपर्क आने वाले लोगों में उन लोगों के मुकाबले कोविड-19 संक्रमण के गंभीर रूप अख्तियार करने का जोखिम ज्यादा रहता है, जो सिगरेट के धुएं के संपर्क में नहीं आते.
एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर ने कहा, “सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने के कारण सेहत को खतरा जीवन के बुनियादी मानवाधिकार का उल्लंघन है. हमारा बहु-केंद्रीय अध्ययन दर्शाता है कि धूम्रपान न करने वाले लोगों में सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने के कारण कोविड-19 संक्रमण के गंभीर रूप अख्तियार करने का जोखिम बढ़ जाता है.”
सिगरेट के धुएं में मौजूद होते हैं 7000 से ज्यादा रसायन
डॉ. किशोर ने कहा, “मैं सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए) 2003 में संशोधन की पहल करने के लिए सरकार को बधाई देती हूं और उससे इस प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह करती हूं, ताकि धूम्रपान न करने वालों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू उत्पादों के संपर्क में आने से बचाया जा सके.”
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विशेषज्ञों के मुताबिक सिगरेट से निकलने वाले धुएं में 7,000 से ज्यादा रसायन मौजूद होते हैं, जिन्हें फेफड़ों के कैंसर, हृदयरोग और फेफड़े की बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. ये बीमारियां कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता बढ़ाती हैं. अध्ययन के लिए अध्ययनकर्ताओं ने अस्पतालों से जनवरी 2020 से फरवरी 2022 के बीच कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने वाले और गंभीर लक्षणों के चलते भर्ती होने वाले 18 साल या उससे अधिक उम्र के मरीजों के रिकॉर्ड निकाले.
सिगरेट नहीं पीने वाले लोगों पर की गई स्टडी
उन्होंने सिगरेट के धुएं के संपर्क और अन्य स्वास्थ्य, जीवनशैली व जनसांख्यिकी पैमानों को लेकर इन मरीजों की तुलना उन रोगियों से की, जो उसी अवधि में कोरोना वायरस संक्रमण के शिकार हुए थे, लेकिन उनमें सिर्फ हल्के या मध्यम लक्षण उभरे थे. ये अध्ययन सिर्फ सिगरेट न पीने वाले लोगों पर किया गया था क्योंकि धूम्रपान करने वालों में धुएं के गंभीर प्रभाव पहले से ही ज्ञात थे और अध्ययनकर्ता सिगरेट न पीने वालों में इसके धुएं के संपर्क में आने से होने वाले खतरों का पता लगाना चाहते थे.
अध्ययनकर्ता ने पाया कि घर में सिगरेट के धुएं के संपर्क में रहने वाले लोगों में कोविड-19 के गंभीर रूप अख्यितार करने का जोखिम 3.03 गुना ज्यादा रहता है. वहीं, दफ्तर में सिगरेट के धुएं के संपर्क में रहने वाले लोगों में गंभीर संक्रमण का शिकार होने का खतरा 2.19 गुना अधिक मिला है.
पीटीआई इनपुट्स के साथ
06:25 PM IST